भूख लगे मा खाना चाही, प्यास लगे मा तो पानी ।
सही उमर मा बिहाव करले, जागे जब तोर जवानी ।।
सही समय मा खातू-माटी, धान-पान ला तो चाही ।
खेत जरे मा बरसे पानी, कइसे के सुकाल लाही ।
अपन गोड़ मा खड़ा होत ले, आधा उमर पहागे गा।
तोर जवानी ये चक्कर मा, अपने अपन सिरागे गा ।।
नवा जमाना के फेशन मा, लइका अपने ला माने ।
धरे जवानी सपना देखे, तभो उमर ला तैं ताने ।।
दू पइसा हे तोर कमाई, अउ-अउ के लालच जागे ।
येही चक्कर मा तो संगी, तोर जवानी हा भागे ।।
कुँवर-बोड़का बइठे-बइठे, कोन कहाये सन्यासी ।
भीष्म प्रतिज्ञा कर राखे का, देखाथे जेन उदासी ।।
-रमेश चौहान
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