हे जग कल्याणी, आदि भवानी, माता रानी, दाई ओ । दुष्टन ला मारे, संतन तारे, भगत उबारे, दाई ओ। जुग जुग ले छाहित, हवस समाहित, श्रद्धा भगती -मा दाई ।। मां तोरे ममता, सब बर समता, जीव जंतु मा, हे छाई ।। आये नवराते, भगतन माते, दिन राते तो, सेवत हे । नौ दिन नौ रूपे, भगतन झूपे, साट हाथ मा, लेवत हे । जय जय मां काली, शेरावाली, खप्पर धारी, दाई ओ । तहीं दंतेश्वरी, बम्मलेश्वरी, चंद्रहासनी, अउ तहीं महा-माईओ । पहिली दच्छसुता, के शैलसुता, ब्रह्मचारणी, दूसर मा । तीसर चंद्रघण्टा, हे कूष्माण्डा, चउथा नामे, तो उर मा ।। पंचम स्कन्धमाता, भाग्य विधाता, कात्यानी तो, छठ दाई । कालरात्रि साते, गौरी आठे, नवम सिद्धदात्री, नौ दाई ।। तोरे दरवाजा, भगत समाजा, अपने माथा, फोरत हे । सब औती-जौती, धरे मनौती, अपने हाथे, जोरत हे ।। मन मा विश्वासा, होही आसा, अब तो पूरा, दाई ओ । ये ममता तोरे, जिनगी मोरे, कूंद-कूंद सुघ-राई ओ ।।