चल जाबो देखन, नाचा पेखन, कतका सुघ्घर, होवत हे ।
जम्मो संगी मन, अब्बड़ बन ठन, हमन ल तो, जोहत हे ।।
नाचत हे बढि़या, ओ नवगढि़या, परी हा मान, टोरत हे ।
जोकर के करतुत, हसाथे बहुत, सब्बो झन ला, मोहत हे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
जम्मो संगी मन, अब्बड़ बन ठन, हमन ल तो, जोहत हे ।।
नाचत हे बढि़या, ओ नवगढि़या, परी हा मान, टोरत हे ।
जोकर के करतुत, हसाथे बहुत, सब्बो झन ला, मोहत हे ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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