नवा साल के करव सब, परघौनी दिल खोल । नाचव कूदव बने तुम, बजा नगाड़ा ढोल ।। बजा नगाड़ा ढोल, खुशी के अइसन बेरा । पाछू झन तै देख, हवय आगू मा डेरा ।। ‘रमेश‘ गा ले गीत, खुशी के गढ़ ताल नवा । होही बड़ फुरमान, सबो ला ये साल नवा ।।
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
1 हफ़्ते पहले