सुत उठ के बिहनिया ले,
बारी बखरी ला जब देखेंव,
मुहझुंझूल कुहासा रहय
चारो कोती परदा असन
डारा-डारा, पाना-पाना मा
चमकत रहय दग दग ले
झक सफेद मोती कस
ओस के बूंद करा बानी ।
हाथ गोठ कॅंपत रहय
पहिली ले अपने अपन
जेला तोपे रहंव
सेटर के चोंगा मा
साल ला ढाके रहंव मुडभर
फेर कइसे के दांत बाजय
हू हू मुह बोलय
हाथ जोरे रगरत रहिगेंव ।
पानी मा लगे हे आगी
कुहरे कुहरा भर दिखत हे
तीर मा खड़े होय मा
हाडा टघलय
कोन बुतावय ।
उत्ती ले लाल लाल
गोड़ के पुक असन
आवत दिखीस
एक ठन गोला
कुनकुन कुनकुन
बेरा के चढत
छर छर ले
बगरिस घाम
जी जुड़ाइस ।
-रमेश चौहान
बारी बखरी ला जब देखेंव,
मुहझुंझूल कुहासा रहय
चारो कोती परदा असन
डारा-डारा, पाना-पाना मा
चमकत रहय दग दग ले
झक सफेद मोती कस
ओस के बूंद करा बानी ।
हाथ गोठ कॅंपत रहय
पहिली ले अपने अपन
जेला तोपे रहंव
सेटर के चोंगा मा
साल ला ढाके रहंव मुडभर
फेर कइसे के दांत बाजय
हू हू मुह बोलय
हाथ जोरे रगरत रहिगेंव ।
पानी मा लगे हे आगी
कुहरे कुहरा भर दिखत हे
तीर मा खड़े होय मा
हाडा टघलय
कोन बुतावय ।
उत्ती ले लाल लाल
गोड़ के पुक असन
आवत दिखीस
एक ठन गोला
कुनकुन कुनकुन
बेरा के चढत
छर छर ले
बगरिस घाम
जी जुड़ाइस ।
-रमेश चौहान
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