टेक्टर चाही खेत बर, झट्टे होही काम । नांगर बइला छोड़ दे, कहत हवय विज्ञान । कहत हवय विज्ञान, धरम प्रगती के बाधक । देवय कोन जवाब, मौन हे धरमी साधक । पूछत हवे "रमेश", गाय अब केती जाही । बइला ला सब छोड़, कहय जब टेक्टर चाही ।। -रमेश चौहान
पुस्तक:छत्तीसगढ़ी काव्यकाव्य एक वृहंगम दृष्टि- रामेश्वर शर्मा
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क्यों पढ़ें यह पुस्तक छत्तीसगढ़ी काव्य: एक विहंगम दृष्टि छत्तीसगढ़ की
साहित्यिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल संग्रह है, जो पाठकों को इस
क्षेत्र की समृद्...
1 दिन पहले