पीरा होथे देख के, टूरा मन ला आज । कतको टूरा गाँव के, मरय न एको लाज । मरय न एको लाज, छोड़ के पढ़ई-लिखई । मानय बड़का काम, मात्र हीरो कस दिखई ।। काटय ओला आज, एक फेशन के कीरा । पाछू हे हर बा...
भरत बुलन्दी की कविताएँ
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भाई और खाई दीवारों पर तस्वीरों में भाई है।दिल में लेकिन लंबी गहरी खाई है।।
बँटवारे में हमने सब कुछ बाँट लिया ।आखिर किसके हिस्से बूढ़ी माईं है।। उसकी
नैया…
1 हफ़्ते पहले