चित्र गुगल से साभार /तुकबंदी/ भाईदूज के दिन , मइके जाहूँ कहिके बाई बिबतियाये रहिस तिहार-बार के लरब ले झूकब बने अइसे सियानमन सिखाये रहिस जब मैं पहुँचेवँ ससुरार, गाँव मातर मा बउराये रहिस । घर मोहाटी देखेंवँ ऊहाँ सारा के सारा आये रहिस । भाईदूज के कलेवा झड़के, माथा मा चंदन-चोवा लगाये रहिस येहूँ जाके अपन भाई के पूजा कर दू-चारठन रसगुल्ला खवाय रहिस आज कहत हे भाई मोला सौ रुपया देइस अउ अपन सारा बर पेंट-कुरथा लाये रहिस -रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद डिहुर राम निर्वाण ‘प्रतप्त’
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छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकधारा और साहित्यिक परंपरा में अनेक ऐसे रचनाकार हुए
हैं जिन्होंने न केवल साहित्य को नई दिशा दी बल्कि समाज को जागरूक और
प्रगतिशील बनाने...
8 घंटे पहले