जिंस पेंट फटकाय के, निकले जब तैं खोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
देख देख ये रेंगना, कउँवा करें न काँव ।
मुक्का होगे मंगसा, परे तोर जब छाँव ।।
देखइया देखत हवय, अपने आँखी फोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
मुक्का होगे मंगसा, परे तोर जब छाँव ।।
देखइया देखत हवय, अपने आँखी फोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
बरसउ बादर जस दिखे, लहरावत ये केश ।
मटक-मटक के रेंग के, मारे जब तैं टेश ।।
रूप-रंग के तोर तो, गली-गली मा छोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
मटक-मटक के रेंग के, मारे जब तैं टेश ।।
रूप-रंग के तोर तो, गली-गली मा छोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
नाजुक होगे गाल हा, केश करे जब चोट ।
लाल फूल दसमत खिले, अइसे तोरे ओट ।।
छल-छल तो छलकत हवय, मुच-मुच मधुरस घोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
लाल फूल दसमत खिले, अइसे तोरे ओट ।।
छल-छल तो छलकत हवय, मुच-मुच मधुरस घोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
दूनो भौं के बीच मा, चंदा आय लुकाय ।
सुरूज अपन रोषनी, तोरे मुँह ले पाय ।।
नील कमल हा हे खिले, तोरे आंखी कोर ।।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
सुरूज अपन रोषनी, तोरे मुँह ले पाय ।।
नील कमल हा हे खिले, तोरे आंखी कोर ।।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
अइसन सुंदर तैं दिखे, मिले नहीं उपमान ।
जेने उपमा ला धरॅंव, होथे तोरे अपमान ।।
रोम-रोम बस ये कहय, तैं हा सपना मोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
जेने उपमा ला धरॅंव, होथे तोरे अपमान ।।
रोम-रोम बस ये कहय, तैं हा सपना मोर ।
लिच लिच कनिहा हा करे, ऐ ओ गोरी तोर ।।
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