बस्तर के मोरे भुंईया, हवय छत्तीसगढ़ के शान । जंगल झाड़ी डोंगरी जिहां, हवे छत्तीसगढ़ के आन ।। बस्तरिहा मन भोला भाला, जइसे गा भोला भगवान । ऊघरा रही करे गुजारा, संकट मा हे इखर परान ।। जब ले इहां नकसली आगे, जागे हे नकसली जमात । छानही म जस भुंजय होरा, मचाय हवंय बड़ उत्पात ।। छोटे बड़े सबो मनखे के, बोकरा कस करे ग हलाल । सरकार असहाय कस लागे, हाथ मिंज के करे मलाल ।। बैरी अब तो सिर चढ़ नाचे, मचे हवय गा हाहाकार । नेता जवान सबो मरत हे, घात लगा जब करे प्रहार ।। लुका-लुका के इन लड़त हवे, अपन आप बहादुर बताय । फोकट फोकट के मनखे ला, काबर एमन मार गिराय ।। कब तक हम सब देखत रहिबो, टुकुर टुकुर जस ध्यान लगाय । पापी के जर नाश करे बर, कइसे हम सब करी उपाय ।। छाती मा आगी दहकत हे, धनुष बाण अब लौव उठाव । शांति बर अब फेर लड़ना हे, जुझारू बाजा ल फेर बजाव ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
4 दिन पहले