ग़ज़ल- नेतामन जाही अब तोर गॉंव
नेतामन जाही अब तोर गांव, आवत हे चुनाव
अब तो कर ही ओमन चाँव-चाँव आवत हे चुनाव
आनी बानी गुरतर गोठ ले बताही जात-पात
ऊँचा-नीचा के खेलत ओ दांव आवत हे चुनाव
कत का दिन के भूले भटके, पूछ रद्दा जाही तोर
घर-घर जाही जाही ठाँव-ठाँव, आवत हे चुनाव
जादूगर कस फूंके बासुरी, अऊ घूमाय हाथ
देखव गा जादू पीपर के छाँव, आवत हे चुनाव
जीते बर बाटे गा दारू, बाटे पइसा थोर थोर
सोचव गा काबर हे तोर भाव, आवत हे चुनाव
हरहा मनखे कुछु कर सकथे, दाँव सब हारे के बाद
तब तो ओ मन पर ही तोर पाँव, आवत हे चुनाव
-रमेश चौहान
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