नई होय छोटे बड़े, जग के कोनो काम ।
जेमा जेखर लगे मन, ऊही ले लौ दाम ।।
सक्कर चाही खीर बर, बासी बर गा नून ।
कदर हवय सबके अपन, माथा तै झन धून ।।
निदा निन्द ले धान के, खातू माटी डार ।
पढ़ा लिखा लइका ल तै, जीनगी ले सवार।।
महर महर चंदन करय, अपने बदन गलाय ।
आदमी ला कोन कहय , देव माथे चढ़ाय ।।
सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख ।
फूलय फरय दूसर बर, चाहे जावय सूख ।।
जम्मो इंद्रिल करय बस, बगुला ह करे ध्यान ।
जेन करय काम अइसन, ओखर होवय मान ।।
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