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संदेश

कतका झन देखे हें-

होली के उमंग

होली के उमंग (‍त्रिभंगी छंद) हे होली उमंग, धरे सब रंग, आनी बानी,  खुुुुशी भरे । ले के पिचकारी, सबो दुवारी, लइका ताने, हाथ धरे ।। मल दे गुलाल, हवे रे गाल, कोरा कोरा, जेन हवे। वो करे तंग, मया के रंग, तन मन तोरे, मोर हवे ।।

मारी डारे

तै संगी मोला, तरसा चोला, मारी डारे, काबर ना । गे कबके विदेश, भेजे संदेश, एको पाती, चाकर ना ।। जे दिन ले आएं, तै ना भाएं, एको चिटीक, मोला रे । तै पइसा होगे, किस्मत सोगे, गे उमर बीत, भोला रे ।।

भुजंगप्रयात छन्द

         भुजंगप्रयात छन्द 1.    कहां मोर हंसा सुवा हा उड़े गा ।     कहे कोन संगी हवा मा जरे गा ।     भये ठाठ तो ठाट आखीर काया ।     तभो जीव हा फेर ले फसे माया । 2.    मरे हे कहां गा कभू तोर आत्मा ।     कहे श्री कभू होय ना जीव खात्मा।।     नवा रे नवा वो धरे फेर चोला ।     करे देह के मोह ला त्याग भोला ।। 3.    चना दार ला डार रांघे करेला ।     तिजा तै रहे गोइ जीये मरेला ।।     धरे लूगरा तोर दाई ह देवे ।     ददा संग मांगे तभे च लेवे ।। 4.    नवा रे जमाना नवा हे लईका ।     नवा हे मकाने नवा हे फईका ।।     धरे खाय पाऊच रे देख लैला ।     पिये दारू माते बने देख छैला ।।

कंचन काया हवय तोर

कंचन काया हवय  तोर । लजागे चंदा सुन सोर । कतका सुघ्घर तोर गोठ । सुन कोयल करे मन छोट । चुन्दी कारी तोर देख । घटा बादर होगे पेख ।         पेख -पेखन - खिलौना पारे पाटी बने मांग । पाछू फूल गजरा टांग । मांगमोती आघू ओर । सुरूज जस चमके खोर । माथा टिकली गोल गोल । समा गे जम्मा भूगोल । नाक नथनी झुमका कान । आंखी तोर तीर कमान । ओट तोरे फूल गुलाब । दे गोइ अनमोल खिताब । सुराही गर्दन श्रृंगार । पहिरे तै सोनहा हार । लाली लुगरा डारे खांध । कनिहा म करधनिया बांध । रून झुन करे साटी गोड़ । सुन देखय सब मुह ल मोड़ । तोरे सोलहो सिंगार । मुरदा देही जीव डार । मेनका उर्वशी सबो फेल । हवय रूप मा जादू खेल । फर्सुत म विधाता गढ़े । देखे बर देवता ह खड़े । मोला तै कनेखी देख । मया कर हू मै अनलेख । देख तोर एक मुस्कान । दे दू हूं गोइ अपन जान ।

जीये बर जरूरी हवय (कुण्डलि)

जीये बर जरूरी हवय, हमन ला तीन बात । मुड़ मा होवय छांव गा, मिलय पेट भर भात ।। मिलय पेट भर भात, बदन मा होवय कपड़ा । पति पत्नि संग होय, रूढ़े मनाय के लफड़ा ।। संगी मन के प्यार, सबो दुख ल लेथे पिये । ददा दाई के दुलार, देख हमरे बर जीये ।।

करा दव बिहाव आसो (कुण्डलि)

आसो करवा दे बबा, मोरो तै ग बिहाव । कानी खोरी कइसनो, खोजे बर तो जाव ।। खोजे बर तो जाव, डहत हे मोर जुवानी । कइसे बबा सुनाव, अपन मै तोला कहानी ।। हासय संगी मोर, तुहू मन मोला हासो । फेर कइसनो होय, करा दव बिहाव आसो ।।

हे महामाई दया कर

1.    हे महामाई दया कर, हम नवावन माथ ला ।     तोर दर मा हम पड़े हन, छोड़ बे झन साथ ला ।।     तोर जश सब भक्त गावन,  ढोल मादर थाम मा ।     जीभ बाणा ले रखे हन  सांट लेवन हाथ मा ।।1।।     हे जवांरा जोत दाई, रूप तोरे विश्वास मा ।    जाप श्रद्धा ले करे हन, नाम तोरे सास मा ।।     भाग मा जतका भरे हे, मेट दे संताप ला ।     शक्ति अतका दे न दाई, छोड़ दी हम पाप ला ।।2।।

जुझारू बाजा फेर बजांव

बस्तर के मोरे भुंईया, हवय छत्तीसगढ़ के शान । जंगल झाड़ी डोंगरी जिहां, हवे छत्तीसगढ़ के आन ।। बस्तरिहा मन भोला भाला, जइसे गा भोला भगवान । ऊघरा रही करे गुजारा, संकट मा हे इखर परान ।। जब ले इहां नकसली आगे, जागे हे नकसली जमात । छानही म जस भुंजय होरा, मचाय हवंय बड़ उत्पात ।। छोटे  बड़े सबो मनखे के, बोकरा कस करे ग हलाल । सरकार असहाय कस लागे, हाथ मिंज के करे मलाल ।। बैरी अब तो सिर चढ़ नाचे, मचे हवय गा हाहाकार । नेता जवान सबो मरत हे, घात लगा जब करे प्रहार ।। लुका-लुका के इन लड़त हवे, अपन आप बहादुर बताय । फोकट फोकट के मनखे ला, काबर एमन मार गिराय ।। कब तक हम सब देखत रहिबो, टुकुर टुकुर जस ध्यान लगाय । पापी के जर नाश करे बर, कइसे हम सब करी उपाय ।। छाती मा आगी दहकत हे, धनुष बाण अब लौव उठाव । शांति बर अब फेर लड़ना हे, जुझारू बाजा ल फेर बजाव ।।

सीखव

नई होय छोटे बड़े, जग के कोनो काम । जेमा जेखर लगे मन, ऊही ले लौ दाम ।। सक्कर चाही खीर बर, बासी बर गा नून । कदर हवय सबके अपन, माथा तै झन धून ।। निदा निन्द ले धान के, खातू माटी डार । पढ़ा लिखा लइका ल तै, जीनगी ले सवार।। महर महर चंदन करय, अपने बदन गलाय । आदमी ला कोन कहय , देव माथे चढ़ाय ।। सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख । फूलय फरय दूसर बर, चाहे जावय सूख ।। जम्मो इंद्रिल करय बस, बगुला ह करे ध्यान । जेन करय काम अइसन, ओखर होवय मान ।।

होली गीत

चारो कोती छाय, मदन के बयार संगी । मउरे सुघ्घर आम, मुड़ी मा पहिरे कलिगी ।। परसा फूले लाल, खार मा जम्मो कोती । सरसो पिउरा साथ, छाय रे चारो कोती ।। माते हे अंगूर, संग मा महुवा माते । आनी बानी फूल, गहद ले बगिया माते ।। तितली भवरा देख, मंडरावत बड़ भाते । होरी के गा डांग,  फाग के गीत सुनाथे ।। पिचकारी के रंग, मया ले गदगद लागे । हवा म उड़े गुलाल, प्रेम के बदरी छागे । रंग रंग के रंग, देख मुह लइका भागे । मया म हे मदहोश, रंग के नसा म माते ।। होवय जिहां ग फाग, धाम बृज कस हे लागे । दे बुलऊवाश्‍ष्याम, संग मा राधा आगे । राधा बिना न श्‍याम, श्‍याम राधा के होरी ।  हवय समर्पण प्रेम, नई होवय बर जोरी ।। राधा के तै श्‍याम, रंग दे अपन रंग मा । खेलव होरी रास, श्‍याम रे तोरे संग मा । तै ह हवस चितचोर, बसे हस मोरे मन मा । महु ला बना ले गोप, सखा तै अपन मन मा ।।

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