भुजंगप्रयात छन्द
1. कहां मोर हंसा सुवा हा उड़े गा ।
कहे कोन संगी हवा मा जरे गा ।
भये ठाठ तो ठाट आखीर काया ।
तभो जीव हा फेर ले फसे माया ।
2. मरे हे कहां गा कभू तोर आत्मा ।
कहे श्री कभू होय ना जीव खात्मा।।
नवा रे नवा वो धरे फेर चोला ।
करे देह के मोह ला त्याग भोला ।।
3. चना दार ला डार रांघे करेला ।
तिजा तै रहे गोइ जीये मरेला ।।
धरे लूगरा तोर दाई ह देवे ।
ददा संग मांगे तभे च लेवे ।।
4. नवा रे जमाना नवा हे लईका ।
नवा हे मकाने नवा हे फईका ।।
धरे खाय पाऊच रे देख लैला ।
पिये दारू माते बने देख छैला ।।
1. कहां मोर हंसा सुवा हा उड़े गा ।
कहे कोन संगी हवा मा जरे गा ।
भये ठाठ तो ठाट आखीर काया ।
तभो जीव हा फेर ले फसे माया ।
2. मरे हे कहां गा कभू तोर आत्मा ।
कहे श्री कभू होय ना जीव खात्मा।।
नवा रे नवा वो धरे फेर चोला ।
करे देह के मोह ला त्याग भोला ।।
3. चना दार ला डार रांघे करेला ।
तिजा तै रहे गोइ जीये मरेला ।।
धरे लूगरा तोर दाई ह देवे ।
ददा संग मांगे तभे च लेवे ।।
4. नवा रे जमाना नवा हे लईका ।
नवा हे मकाने नवा हे फईका ।।
धरे खाय पाऊच रे देख लैला ।
पिये दारू माते बने देख छैला ।।
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