रूखवा जइसे बन ददा, देथे हमला ठांव । हमरे बर फूलय फरय, देत मया के छांव ।। देत मया के छांव, जान के लगाय बाजी । कमाय जांगर टोर, हमर हर बाते राजी ।। कह ‘रमेश‘ मन लाय, ददा मोरे बड़ सुखवा । बने रहय छतनार, ददा मोरे जस रूखवा ।। - रमेशकुमार सिंह चौहान
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले