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संदेश

कतका झन देखे हें-

ददा (कुण्ड़लिया छंद)

रूखवा जइसे बन ददा, देथे हमला ठांव । हमरे बर फूलय फरय, देत मया के छांव ।। देत मया के छांव, जान के लगाय बाजी । कमाय जांगर टोर, हमर हर बाते राजी ।। कह ‘रमेश‘ मन लाय, ददा मोरे बड़ सुखवा । बने रहय छतनार, ददा मोरे जस रूखवा ।। - रमेशकुमार सिंह चौहान

तांका

1. जेन बोलय छत्तीसगढ़ी बोली अड़हा मन ओला अड़हा कहय मरम नई जाने । 2. सावन भादो तन मा आगी लगे गे तै मइके पहिली तीजा पोरा दिल मा मया बारे 3. बादर कारी नाचत छमाछम बरखा रानी बरसे झमाझाम सावन के महिना 4. स्कूल तै जाबे घातेच मजा पाबे आनी बानी के पढ़बे अऊ खाबे सपना तै सजाबे

भोजली गीत

रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत हन दाई मेटव हमर झमेला ।। -रमेशकुमार सिंह चैहान

करेजा मा महुवा पागे मोर (युगल गीत)

मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । चंदा देख देख लुकावत हे, छोटे बड़े मुॅह बनावत हे, एकसस्सू दमकत, एकसस्सू दमकत, गोरी चेहरा तोर ।। करेजा मा महुवा पागे मोर     बनवारी कस रिझावत हे     मन ले मन ला चोरावत हे,     घातेच मोहत, घातेच मोहत,     सावरिया सूरत तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मारत हे हिलोर जस लहरा सागर कस कइसन गहरा सिरतुन मा, सिरतुन मा,   अंतस मया गोरी तोर ।।  करेजा मा महुवा पागे मोर     छाय हवय कस बदरा     आंखी समाय जस कजरा     मोरे मन मा, मोरे मन मा     जादू मया तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । -रमेशकुमार सिंह चैहान

मोर छत्तीसगढ़ के कोरा

सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा । दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।।     मैं कहिथंव ये मोर महतारी ऐ     बड़ मयारू बड़ दुलौरिन     मोर बिपत के संगवारी ऐ     सहूंहे दाई कस पालय पोसय     जेखर मैं तो सरवन कस छोरा संझा बिहनिया माथा नवांव ऐही देवी देवता मोरे दानी हे बर दानी हे,दाई के अचरा के छोरे ।।     मोर छत्तीसगढ़ी भाखा बोली     मन के बोली हिरदय के भाखा     हर बात म हसी ठिठोली     बड़ गुरतुर बड़ मिठास     घुरे जइसे सक्कर के बोरा कोइला अऊ हीरा ला, दाई ढाके हे अपन अचरा बनकठ्ठी दवई अड़बड़, ऐखर गोदी कांदी कचरा     अन्नपूर्णा के मूरत ये हा     धन धान्य बरसावय     श्रमवीर के माता जे हा     लइकामन ल सिरजावय     फिरे ओ तो कछोरा सरग ले बड़ सुंदर भुईंया, मोर छत्तीसगढ़ के कोरा । दुनिया भर ऐला कहिथे, भैइया धान के कटोरा ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

बाबू के ददा हा , दरूहा होगे ना (गीत)

गीत बोली ओखर तो, करूहा होगे ओ बाबू के ददा हा , दरूहा होगे ना । मोरे ओ मयारू, रहिस अड़बड़ ...... पी अई के तो मारे, बइसुरहा होगे ना । रूसे कस डारा, डोलत रहिथे....... बाका ओ जवान, धक धकहा होगे ना । फोकट के गारी, अऊ फोकट के मार......... जीयवं कइसे गोई, धनी झगरहा होगे ना । पिलवा पिलवा लइका, मरवं कइसे........ जीनगी हा मोरे, अब अधमरहा होगे ना । -रमेशकुमार सिंह चौहान

बैरी बादर

ये बैरी बादर, भुलाय काबर, सब जोहत हें, रद्दा तोरे । कतेक ल सताबे, कब तै आबे, पथरावत हे, आंखी मोरे ।। धरती के छाती, सुलगे आगी, बैरी सूरज, दहकत हे । आवत हे सावन, लगे डरावन, पानी बर सब, तरसत हे ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

नाचा पेखन

चल जाबो देखन, नाचा पेखन, कतका सुघ्घर, होवत हे । जम्मो संगी मन, अब्बड़ बन ठन, हमन ल तो, जोहत हे ।। नाचत हे बढि़या, ओ नवगढि़या, परी हा मान, टोरत हे । जोकर के करतुत, हसाथे बहुत, सब्बो झन ला, मोहत हे ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

ये गोरी मोरे

ये गोरी मोरे, मुखड़ा तोरे, चंदा बानी, दमकत हे । जस फुलवा गुलाब, तन के रूआब, चारो कोती, गमकत हे ।। जब रेंगे बनके, तै हर मनके, गोड़ म पैरी, छनकत हे । सुन कोयल बोली, ये हमलोली, मोरे मनवा, बहकत हे ।। -रमेशकुमार सिंह चौहान

दोहा

1. आमा रस कस प्रेम हे, गोही कस हे बैर । गोही तै हर फेक दे, होही मनखे के खैर ।। 2. लालच अइसन हे बला, जेन परे पछताय । फसके मछरी गरी मा, अपन जाने गवाय ।। 3. अपन करम गति भोग बे, भोगे हे भगवान । बिंदा के ओ श्राप ले, बनगे सालिक राम ।। 4. करम बड़े के भाग हा, जोरव ऐखर  ताग । नगदी पइसा कस करम, कोठी जोरे  भाग ।। 5. लाश जरत तै देख के, का सोचे इंसान । ऐखर बारी हे आज गा, काली अपन ल जान ।। -रमेश

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