बुद्धि के देवइया अऊ पिरा के हरइया हे गज मुख वाला ।
सबले पहिली तोला सुमिरव हे षंकर सुत गौरी के लाला ।।
वेद पुरान जम्मो तोरे च गुन ल गाय हे,
सबले पहिली श्रीगणेष कहव बताय हे ।
सभो देवता ले पहिली सुमिरन तोरे कहाये हे,
हे परभू मोरो अंतस ह तोरे च गुन ल गाये हे ।
शुरू करत हव तोर नाम ले, ये कारज गृह जंजाला,
हे गजानन दया करहू झन होवय कुछु गड़बड़ झाला । हे गौरी के लाला.........
जइसे लंबा लंबा सूड़ तोरे,
लंबा कर दव सोच ल मोरे ।
जइसन भारी पेट तोरे,
गहरा बना दव विचार ल मोरे ।
अपन माटी अऊ अपन पुरखा के सेवा गावंव ले सुर लय ताल ।
हे एकदन्त एक्केच किरपा करहू बुद्धि ले झन रहव मै कंगाल ।। हे गौरी के लाल.....
जइसे भाते उमा महेश के मया ह तोला,
ओइसने अपन मया दे दव मोला ।
मिठ मिठ लाडू जइसे भाते तोला,
ओइसने गुतुर गुतुर भाखा दे दव मोला ।
कुमति के नाश कर सुमति ले भर दौव मोरो भाल ।
हे आखर के देवता मोरो गीत ल लौव सम्हाल ।। हे गौरी के लाल............
दाई ल धरती ददा ल अकास कहिके कहाय गणेश,
तोर ये बुद्धि ल जम्मो देवता ले बड़का कहे हे महेश ।
तोरे च शरण आये नारद अऊ सब देवता संग सुरेश ,
हे दयावंत तुहरे शरण आये हे ये मुरख ‘रमेश‘ ।।
रिद्धी सिद्धी के दाता प्रभू सिंदुर सोहे तोर भाल ।
मोरो दुख मेटव हे गौरी के लाल, हे गौरी के लाल ।।
-रमेश चैहान
आभार भाई आपकी इस सहृदयता का ब्लॉग जगत में कई भाई हमसे रुसवा हैं इसी लाने(कारण )।
जवाब देंहटाएंसुन्दर छटा बिखेर दी आंचलिक भाषा की।
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