नई होय छोटे बड़े, जग के कोनो काम । जेमा जेखर लगे मन, ऊही ले लौ दाम ।। सक्कर चाही खीर बर, बासी बर गा नून । कदर हवय सबके अपन, माथा तै झन धून ।। निदा निन्द ले धान के, खातू माटी डार । पढ़ा लिखा लइका ल तै, जीनगी ले सवार।। महर महर चंदन करय, अपने बदन गलाय । आदमी ला कोन कहय , देव माथे चढ़ाय ।। सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख । फूलय फरय दूसर बर, चाहे जावय सूख ।। जम्मो इंद्रिल करय बस, बगुला ह करे ध्यान । जेन करय काम अइसन, ओखर होवय मान ।।
सुवा गीत-डाॅ. विनोद कुमार वर्मा
-
डाॅ विनोद कुमार वर्मा एक व्याकरणविद्,कहानीकार, समीक्षक हैं । आपको छत्तीसगढ़
शासन ने लाला जगदलपुरी साहित्य पुरस्कार 2025- राज्य अलंकरण से विभूषित किया
है । ...
1 हफ़्ते पहले