तोर आँखी के दहरा,
मया करे हिलोर
बिना बोले बोलत रहिथस
बिना मुँह खोले ।
बिना देखे देखत रहिथस
आँखी मूंदे होले-होले
मोर देह के छाया तैं
प्राण घला तैं मोर
रूप रंग ला कोने देखय
तोर अंतस हे उजयारी
मोरे सेती रात दिन तैं
खावत रहिथस गारी
बिना छांदे छंदाय हँव
तोर मया के डोर
मोर देह मा घाव होथे
पीरा तोला जनाथे
अइसन मयारू ला छोड़े
देवता कोने मनाथे
तोर करेजा बसरी बानी
मया तोर जस चितचोर
मया करे हिलोर
बिना बोले बोलत रहिथस
बिना मुँह खोले ।
बिना देखे देखत रहिथस
आँखी मूंदे होले-होले
मोर देह के छाया तैं
प्राण घला तैं मोर
रूप रंग ला कोने देखय
तोर अंतस हे उजयारी
मोरे सेती रात दिन तैं
खावत रहिथस गारी
बिना छांदे छंदाय हँव
तोर मया के डोर
मोर देह मा घाव होथे
पीरा तोला जनाथे
अइसन मयारू ला छोड़े
देवता कोने मनाथे
तोर करेजा बसरी बानी
मया तोर जस चितचोर
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