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कतका झन देखे हें-

ददरिया- ये फूल कैयना

 ददरिया- ये फूल कैयना



हे गोडे मा चप्पल, अउ चप्पल मा हिल

तैं मटकत रेंगत हस

जावत हे मोर दिल, ये फूल कैयना


हे हाथे मा मोबइल, बाजत हे घंटी

हे हाथे मा मोबइल, बाजत हे घंटी

स्कूटी मा उड़ावत हस, उड़ावत हे बंडी, ये फूल कैयना

हाय ओ फूल कैयना, पातर तोर कनिहा

कजरारी ये तोर नैना, अउ कोयलबानी बैना, मोहत हे ओ...


खुल्ला चुँदी.....बादर करयिा ....हाँ

खुल्ला चुँदी बादर करयिा हाँ बादर करिया

खुल्ला चुँंदी बादर करयिा हाँ बादर करिया

आँखी मा समाये, मया के तरिया, ओ फूल कैयना

हाय ओ फूल कैयना, पातर तोर कनिहा

कजरारी ये तोर नैना, अउ कोयलबानी बैना, मोहत हे ओ...


नवा स्टेटस.... आजेच डारेस... हाँ

नवा स्टेटस आजेच डारेस हाँ आजेच डारेस

नवा स्टेटस आजेच डारेस हाँ आजेच  डारेस

अइसे हे फोटु, कनेखी आँखी च मारे ये फूल कैयना

हाय ओ फूल कैयना, पातर तोर कनिहा

कजरारी ये तोर नैना, अउ कोयलबानी बैना, मोहत हे ओ...


मोरे ये नंबर..... सेवे कर ले...... हाँ

मोरे ये नंबर सेवे कर ले हाँ सेवे कर ले

मोरे ये नंबर सेवे कर ले हाँ सेवे कर ले

रमेशे हे नाम, काने धर ले, ये फूल कैयना

हाय ओ फूल कैयना, पातर तोर कनिहा

कजरारी ये तोर नैना, अउ कोयलबानी बैना, मोहत हे ओ...


-रमेश चौहान


टिप्पणियाँ

सबले जादाझन देखे हे-

राउत दोहा बर दोहा-

तुलसी चौरा अंगना, पीपर तरिया पार । लहर लहर खेती करय, अइसन गांव हमार ।। गोबर खातू डार ले, खेती होही पोठ । लइका बच्चा मन घला, करही तोरे गोठ ।। गउचर परिया छोड़ दे, खड़े रहन दे पेड़ । चारा चरही ससन भर, गाय पठरू अउ भेड़ ।। गली खोर अउ अंगना, राखव लीप बहार । रहिही चंगा देह हा, होय नही बीमार  ।। मोटर गाड़ी के धुॅंवा, करय हाल बेहाल । रूख राई मन हे कहां, जंगल हे बदहाल ।। -रमेश चौहान

देवारी दोहा- देवारी के आड़ मा

दोहा चिट-पट  दूनों संग मा, सिक्का के दू छोर । देवारी के आड़ मा, दिखे जुआ के जोर ।। डर हे छुछवा होय के, मनखे तन ला पाय । लक्ष्मी ला परघाय के, पइसा हार गवाय ।। कोन नई हे बेवड़ा, जेती देख बिजार। सुख दुख ह बहाना हवय, रोज लगे बाजार ।। कहत सुनत तो हे सबो, माने कोने बात । सबो बात खुद जानथे, करय तभो खुद घात ।। -रमेश चौहान

चार आंतकी के मारे ले

आल्‍हा छंद मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे आय । जीयत जागत रोबोट बने, आका के ओ हुकुम बजाय ।। मनखे होके काबर मनखे, मनखे ला अब मार गिराय । जेती देखव तेती बैरी, मार काट के लाश बिछाय ।। मनखे होके पथरा लागे, अपन करेजा बेचे खाय । जीयत-जागत जींद बने ओ, आका के सब हुकुम बजाय ।। ओखर मन का सोच भरे हे, अपनो जीवन देत गवाय । काबर बाचा माने ओ हा, हमला तो समझ नई आय ।। चार आदमी मिल के कइसे, दुनिया भर ला नाच नचाय । लगथे कोनो तो परदा हे, जेखर पाछू बहुत लुकाय ।। रसद कहां ले पाथे ओमन, बइठे बइठे जउने खाय । पाथे बारूद बम्म कहां ले, अतका नोट कहां ले आय ।। हमर सुपारी देके कोने, घर बइठे-बइठे मुस्काय । खोजव संगी अइसन बैरी, आतंकी तो जउन बनाय । चार आतंकी के मारे ले, आतंकी तो नई सिराय । जेन सोच ले आतंकी हे, तेन सोच कइसे मा जाय ।। कब तक डारा काटत रहिबो, जर ला अब खन कोड़ हटाव । नाम रहय मत ओखर जग मा, अइसन कोनो काम बनाव ।। -रमेश चौहान

भोजली गीत

रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत हन दाई मेटव हमर झमेला ।। -रमेशकुमार सिंह चैहान

जनउला हे अबूझ

का करि का हम ना करी, जनउला हे अबूझ । बात बिसार तइहा के, देखाना हे सूझ ।। देखाना हे सूझ, कहे गा हमरे मुन्ना हा । हवे अंधविश्वास, सोच तुहरे जुन्ना हा ।। नवा जमाना देख, कहूं  तकलीफ हवय का । मनखे मनखे एक, भेद थोरको हवय का ।। -रमेश चौहान

अटकन बटकन दही चटाका

चौपाई छंद अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका लउहा-लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा तुहुुर-तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावय सावन म करेला हा पाके । करू करू काबर दुनिया लागे चल चल बेटी गंगा जाबो । जिहां छूटकारा हम पाबो गंगा ले गोदावरी चलिन । मरीन काबर हम अलिन-गलिन पाका पाका बेल ल खाबो । हमन मुक्ति के मारग पाबो छुये बेल के डारा टूटे । जीये के सब आसा छूटे भरे कटोरा हमरे फूटे । प्राण देह ले जइसे छूटे काऊ माऊ छाये जाला । दुनिया लागे घात बवाला -रमेश चौहान

करेजा मा महुवा पागे मोर (युगल गीत)

मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । चंदा देख देख लुकावत हे, छोटे बड़े मुॅह बनावत हे, एकसस्सू दमकत, एकसस्सू दमकत, गोरी चेहरा तोर ।। करेजा मा महुवा पागे मोर     बनवारी कस रिझावत हे     मन ले मन ला चोरावत हे,     घातेच मोहत, घातेच मोहत,     सावरिया सूरत तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मारत हे हिलोर जस लहरा सागर कस कइसन गहरा सिरतुन मा, सिरतुन मा,   अंतस मया गोरी तोर ।।  करेजा मा महुवा पागे मोर     छाय हवय कस बदरा     आंखी समाय जस कजरा     मोरे मन मा, मोरे मन मा     जादू मया तोर ।  तन मन मा नशा छागे मोर मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । मुच मुच मुचई गोरी तोर करेजा मा महुवा पागे मोर ।     सुन सुन के बोली धनी तोर     तन मन मा नशा छागे मोर । -रमेशकुमार सिंह चैहान

कतका तैं इतराय हस

राम राम कह राम, जगत ले तोला तरना । आज नही ता काल, सबो ला तो हे मरना ।। मृत्युलोक हे नाम, कोन हे अमर जगत मा । जप ले सीताराम, मिले हे जेन फकत मा ।। अपन उमर भर देख ले, का खोये का पाय हस । लइका पन ले आज तक, कतका तैं इतराय हस ।।

तांका

1. जेन बोलय छत्तीसगढ़ी बोली अड़हा मन ओला अड़हा कहय मरम नई जाने । 2. सावन भादो तन मा आगी लगे गे तै मइके पहिली तीजा पोरा दिल मा मया बारे 3. बादर कारी नाचत छमाछम बरखा रानी बरसे झमाझाम सावन के महिना 4. स्कूल तै जाबे घातेच मजा पाबे आनी बानी के पढ़बे अऊ खाबे सपना तै सजाबे

हमर जुन्ना खेल

कुण्‍डलियां गिल्ली डंडा खेलबो, चल संगी दइहान । गोला घेरा खिच के, पादी लेबो तान । पादी लेबो तान, खेलबो सबो थकत  ले । देबोे संगी दांव, फेर तो हमन सकत ले ।।। अभी जात हन स्कूल, उड़ावा मत जी खिल्ली । पढ़ लिख के हम सांझ, खेलबो फेरे गिल्ली ।। चलव सहेली खेलबो, जुर मिल फुगड़ी खेल । माड़ी मोड़े देख ले, होथे पावे के मेल ।। होथे पांवे के मेल, करत आघू अउ पाछू । सांस भरे के खेल, काम आही ओ आघू ।। पुरखा के ये खेल, लगय काबर ओ पहेली । घर पैठा रेंगान, खेलबो चलव सहेेली ।। अटकन बटकन गीन ले, सबो पसारे हाथ । दही चटाका बोल के, रहिबो संगे साथ ।। रहिबो संगे साथ, लऊहा लाटा बन के । कांटा सूजी छांट, काय लेबे तैं तन के ।। कांऊ मांऊ बोल, कान धर लव रे झटकन । कतका सुघ्घर खेल, हवय गा अटकन बटकन ।। नेती भवरा गूंथ के, दे ओला तैं फेक । घूमे लगाय रट्ट हे, आंखी गड़ाय देख ।। आंखी गड़ाय देख, खेल जुन्ना कइसे हे । लकड़ी काढ़ बनाय,  बिही के फर जइसे हे ।। लगय हाथ के जादू, जेन हर तोरे सेती । फरिया डोरी सांट, बनाले तैं हर नेती ।। धर के डंडा हाथ मा, ऊपर तैं हर टांग । हम तो ओला कोलबो, जावय बने उचांग ।। जावय बने उचांग, फेर तो डंडा

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