भागही ये कोरोना
(कुण्डलियॉं)
रहना दुरिहा देह ले, रहि के मन के तीर ।
कोरोना के काल मा, होये बिना अधीर ।।
होय बिना अधीर, संग अपने ला दे ना ।
दू भाखा तैं बोल, अकेलापन ला ले ना ।।
तोर हाथ मा फोन, अपन संगी ला कह ना ।
हवन संग मा तोर, अकेल्ला मत तैं रहना ।।
कोरोना के रोग ले, होबो हम दू-चार ।
मन ला मन ले जोड़ के, रहिना हे तइयार ।।
रहिना हे तइयार, हराना हे जब ओला ।
तन ले रहिके दूर, खोलबो मन के खोला
अपने आप सम्हाल, नई हे हमला रोना ।
जुरमिल करव उपाय, भागही ये कोरोना ।।
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