तीजा तीज तिहार मा, मांगे हें अहिवात ।
दिन भर रहे उपास अउ, जागे वो हा रात ।
जागे वो हा रात, खुशी पति के हे मांगे ।
पत्नी के ये काम, जगत मा ऊंपर टांगे ।
सुनलव कहे "रमेश", ठेठरी धर छोड़व पीजा ।
अपन ह अपने होय, कहत हे हमरे तीजा ।।
छत्तीसगढ़ी भाषा अउ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित रमेशकुमार सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ी छंद कविता के कोठी ( rkdevendra.blogspot.com) छत्तीसगढ़ी म छंद विधा ल प्रोत्साहित करे बर बनाए गए हे । इहॉं आप मात्रिक छंद दोहा, चौपाई आदि और वार्णिक छंद के संगेसंग गजल, तुकांत अउ अतुकांत कविता पढ़ सकत हंव ।
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