दूध बेचईया गली गली रेंगय मदिरा बेचईया बइठे सजाये साज रे । बहुत झन ल ऐखर ले कोई मतलब नइये कोनो कोनो पूछय राज रे ।। मोर गांव के मरार बारी के भाटा धरे बइठे रहिगे हाट म । परदेशिया कोचिया के कड़हा कोचरा भाटा बेचागे आज रे ।। गाया गरूवा बर ठऊर नइये कहां बनाई गऊठान । गांव के जम्मो सरकारी परीया घेरे हे गिद्ध अऊ बाज रे । नेता मन नेतेच ऐ फेर चमचा मन बन गेहे बाप रे । गांव के कोनो मनखे ल चिंता नइये कइसे होही काज रे । कोनो कोनो भ्रष्टाचारी होतीन त कोई बात नही । गुड़ म माछी कस झुम गे हे जम्मो झन आज रे ।। ...........‘‘रमेश‘‘................
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
1 दिन पहले