तोर मया के छांवे म, गोरी मोरो मन हे हरियर ।
चंदा कस तोर बरन, देख मोरो मन हे हरियर ।।
करिया हिरा कस चुन्दी, पाटी पारे लगाये फुन्दी,
तोर खोपा के बगिया म, भवरा कस मन हे हरियर ।
तरिया म फूले कमल, ओइसने हे तोर नयन,
देख कमल सरोवर ल, गावय मोर मन ये हरियर ।
ओट तोर गुलाब के पंखुडी, करत हे महक झड़ी,
ये गुलागी महक म, झुमय मोरो मन हरियर ।
माथे के टिकली, टिमटिमात हे मोर अंतस भितरी,
ऐखर ऐ अंजोर म, दमकत हे मोर मन हरियर ।
कभू कान म झुमका, कभू येमा डोलय बाली,
विश्मामित्र के मेनका कस, डोलावय मोरो मन हरियर ।
कनिहा के करधनिया, अऊ गोडे के पैयजनिया,
बोलय छुम छुम छनानना, नाचय गावय मोर मन हरियर ।
कोयल कस गुतुर बोली, अऊ गुतुर गुतुर तोर ठिठोली,
बोली अऊ ठिठोली के, समुदर म गोता खावय मोर मन हरियर ।
तै कही सकथस मोला कुछु कुछु, तै तो मोरे सबे कुछु,
तोर बिना नई जानव काहीं कुछु मोर मन हरियर ।
..........‘‘रमेश‘‘.........................
चंदा कस तोर बरन, देख मोरो मन हे हरियर ।।
करिया हिरा कस चुन्दी, पाटी पारे लगाये फुन्दी,
तोर खोपा के बगिया म, भवरा कस मन हे हरियर ।
तरिया म फूले कमल, ओइसने हे तोर नयन,
देख कमल सरोवर ल, गावय मोर मन ये हरियर ।
ओट तोर गुलाब के पंखुडी, करत हे महक झड़ी,
ये गुलागी महक म, झुमय मोरो मन हरियर ।
माथे के टिकली, टिमटिमात हे मोर अंतस भितरी,
ऐखर ऐ अंजोर म, दमकत हे मोर मन हरियर ।
कभू कान म झुमका, कभू येमा डोलय बाली,
विश्मामित्र के मेनका कस, डोलावय मोरो मन हरियर ।
कनिहा के करधनिया, अऊ गोडे के पैयजनिया,
बोलय छुम छुम छनानना, नाचय गावय मोर मन हरियर ।
कोयल कस गुतुर बोली, अऊ गुतुर गुतुर तोर ठिठोली,
बोली अऊ ठिठोली के, समुदर म गोता खावय मोर मन हरियर ।
तै कही सकथस मोला कुछु कुछु, तै तो मोरे सबे कुछु,
तोर बिना नई जानव काहीं कुछु मोर मन हरियर ।
..........‘‘रमेश‘‘.........................
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें