दूध बेचईया गली गली रेंगय मदिरा बेचईया बइठे सजाये साज रे । बहुत झन ल ऐखर ले कोई मतलब नइये कोनो कोनो पूछय राज रे ।। मोर गांव के मरार बारी के भाटा धरे बइठे रहिगे हाट म । परदेशिया कोचिया के कड़हा कोचरा भाटा बेचागे आज रे ।। गाया गरूवा बर ठऊर नइये कहां बनाई गऊठान । गांव के जम्मो सरकारी परीया घेरे हे गिद्ध अऊ बाज रे । नेता मन नेतेच ऐ फेर चमचा मन बन गेहे बाप रे । गांव के कोनो मनखे ल चिंता नइये कइसे होही काज रे । कोनो कोनो भ्रष्टाचारी होतीन त कोई बात नही । गुड़ म माछी कस झुम गे हे जम्मो झन आज रे ।। ...........‘‘रमेश‘‘................
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले