ऐ गोरी मोर, पैरी तोर, रून छुन बाजे ना । सुन मयारू बोल, ढेना खोल, मनुवा नाचे ना । कजरारी नैन, गुरतुर बैन, जादू चलाय ना । चंदा बरन रूप, देखत हव चुप, दिल मा बसाय ना । गोरी तोर प्यार, मोर अधार, जिनगी ल जिये बर । ये जिनगी तोर, गोरी मोर, मया मा मरे बर । कइसन सताबे, कभू आबे, जिनगी गढ़े बर । करव इंतजार, सुन गोहार, तोही ल वरे बर । .............रमेश ......................
समृद्ध बस्तर, शोषित बस्तर- श्रीमती शकुंतला तरार
-
श्रीमती शकुंतला तरार,एक ऐसी कवयित्री जो बस्तर में जन्मीं और बस्तर को ही
अपनी कलम का केन्द्र बनाया।सोचिए — जिस धरती पर जन्म हुआ, उसी पर इतनी गहराई
से लिखा क...
1 दिन पहले