गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय रायपुर रतनपुर नवागढ़, महामाई बन बिराजे बम्लेश्वरी डोंगरगढ, पहडि़या ऊपर राजे बेमेतरा दुरूग मा, भद्रकाली चण्डी बाना साजे नाथल दाई नदिया भीतर, चंद्रहासनी संग बिराजे हो माय । तिफरा मा कालीमाई, डिंडेश्वरी मल्हारे बस्तर के दंतेवाड़ा, दंतेश्वरी संवारे सिंगारपुर मौलीमाता, भगतन के रखवारे खल्लारी मा खल्लारी माता, अंबिकापुर मा समलेश्वरी बिराजे हो माय गांव गांव पारा पारा, तोर मंदिर देवालय भाथे भगतन जाके तोर दुवरिया, अपन माथ नवाथे आनी बानी मन के मनौती, रो रो तोला गोहराथे सबके पीरा के ते हेरईया, सबके मन बिराजे हो माय । गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय गढ़ बिराजे हो मइया, छत्तीसगढ़ मा बिराजे हो माय -रमेशकुमार सिंह चौहान
पुस्तक समीक्षा:शोधार्थियों के लिए बहुपयोगी प्रबंध काव्य “राजिम सार”-अजय
‘अमृतांशु’
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मनीराम साहू मितान द्वारा सृजित “राजिम सार” छत्तीसगढ़ी छन्द प्रबंध काव्य
पढ़ने को मिला। छत्तीसगढ़ी में समय-समय पर प्रबंध काव्य लिखे जाते रहे है।
पंडित सुंदर...
22 घंटे पहले