दो कवित्त्त 1- फेशन के चक्कर मा, दूसर के टक्कर मा, लाज ला भुलावत हे, टूरा टूरी गांव के । हाथ धरे मोबाईल, फोकट करे स्माईल, करत आंख मटक्का, धरे मया नाव के ।। करे मया देखा देखी, संगी संगी ऐती तेती, भागत उड़रहीया, यै लईका आज के । ददा ला गुड़ेरत हे, दाई ला भसेड़ेत हे, टोरत हे आजकल, फईका लाज के । 2-. ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देष के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।।