मुड़ मा पागा लपेटे, हाथ कुदरा समेटे,
खेत मेड़ मचलत हे, हमर किसान गा ।
फोरत हे मुही ला, साधत खेत धनहा,
मन उमंग हिलोर, खेत देख धान गा ।
लहर-लहर कर, डहर-डहर भर,
झुमर-झुमर कर, बढ़ावत शान गा ।
आनी-बानी के सपना, आंखी-आंखी संजोवत,
मन मा नाचत गात, हमर किसान गा ।
खेत मेड़ मचलत हे, हमर किसान गा ।
फोरत हे मुही ला, साधत खेत धनहा,
मन उमंग हिलोर, खेत देख धान गा ।
लहर-लहर कर, डहर-डहर भर,
झुमर-झुमर कर, बढ़ावत शान गा ।
आनी-बानी के सपना, आंखी-आंखी संजोवत,
मन मा नाचत गात, हमर किसान गा ।
बहुत सुन्दर...
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