भागही ये कोरोना (कुण्डलियॉं) रहना दुरिहा देह ले, रहि के मन के तीर । कोरोना के काल मा, होये बिना अधीर ।। होय बिना अधीर, संग अपने ला दे ना । दू भाखा तैं बोल, अकेलापन ला ले ना ।। तोर हाथ मा फोन, अपन संगी ला कह ना । हवन संग मा तोर, अकेल्ला मत तैं रहना ।। कोरोना के रोग ले, होबो हम दू-चार । मन ला मन ले जोड़ के, रहिना हे तइयार ।। रहिना हे तइयार, हराना हे जब ओला । तन ले रहिके दूर, खोलबो मन के खोला अपने आप सम्हाल, नई हे हमला रोना । जुरमिल करव उपाय, भागही ये कोरोना ।।
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
6 दिन पहले