खेलत घरघुन्दिया, गली खोर मोर नोनी ।
धुर्रा धुर्रा ले बनाय, घर चारो ओर नोनी ।।
बना रंधनही खोली, आनी बानी तै सजाय ।
रांधे गढ़े के समान, जम्मा जोर जोर नोनी ।।
माटी के दिया ह बने, तोर सगली भतली ।
खेल खेल म चुरय, साग भात तोर नोनी ।।
सेकत चुपरत हे, लइका कस पुतरी ।
सजावत सवारत, चेंदरा के कोर नोनी ।।
अक्ती के संझा बेरा, अंगना गाढ़े मड़वा ।
नेवता के चना दार, बांटे थोर थोर नोनी ।।
पुतरा पुतरी के हे, आजे तो दाई बिहाव ।
दे हव ना टिकावन, कहे घोर घोर नोनी ।।
कका ददा बबा घला, आवा ना तीर मा ।
दू बीजा चाऊर टिक, कहय गा तोर नोनी ।।
माईलोगीन के बूता, ममता अऊ दुलार ।
नारीत्व के ये स्कूल मा, रोज पढ़े मोर नोनी
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