हमर ममा गांव मा, होवत हे गा बिहाव ।
दाई अऊ बाई दुनो, कहत हे जाबो गांव ।।
दाई कहे बाबू सुन, मोर ममा के नाती के ।
घात सुघ्घर आदत, का तोला बतांव ।।
वो ही बाबू के बिहाव, होवत हे ग ना आज ।
मुंह झुंझूल ले जाबो, बाढ़ गे हे तांव ।।
तोर सारी दुलौरीन, मोर ममा के ओ नोनी ।
घेरी घेरी फोन करे, भेजे मया ले बुलांव ।।
मोटरा जोर मैं हर, करत हंव श्रृंगार ।
काल संझकेरहे ले, जाबो जोही ममा गांव ।।
सियानीन मोटियारी, टूरा होवय के टूरी ।
सब्बो ला घाते भाथे, अपनेच ममा गांव ।।
एके तारीक म हवे, दुनो कोती के बिहाव ।
सोच मा परे हवंव, काखर संग मैं जांव ।।
दाई संग जाहूं मै ता, बाई ह बड़ रिसाही ।
गाल मुंह ल फुलेय, करही गा चांव चांव ।।
बाई संग कहूं जाहूं, दाई रो रो देही गारी ।
ये टूरा रोगहा मन, डौकीच ला देथे भाव ।।
बड़ मुश्किल हे यार, सुझत नई ये कुछु ।
काखर संग मैं जांव, काला का कहि मनांव ।।
नानपन ले दाई के, घात मया पाय हंव ।
मन ले कहत हंव, दाई जिनगी के छांव ।।
अब तो सुवारी बीना, जिनगी लागे बेमोल ।
जोही बीना जग सुन्ना, लगे जिनगी के दांव ।।
छोड़ नई सकव मैं, दाई बाई दुनो ला तो ।
बिमार हो मै कहेंव, कोनो गांव नई जांव ।।
-रमेश
दाई अऊ बाई दुनो, कहत हे जाबो गांव ।।
दाई कहे बाबू सुन, मोर ममा के नाती के ।
घात सुघ्घर आदत, का तोला बतांव ।।
वो ही बाबू के बिहाव, होवत हे ग ना आज ।
मुंह झुंझूल ले जाबो, बाढ़ गे हे तांव ।।
तोर सारी दुलौरीन, मोर ममा के ओ नोनी ।
घेरी घेरी फोन करे, भेजे मया ले बुलांव ।।
मोटरा जोर मैं हर, करत हंव श्रृंगार ।
काल संझकेरहे ले, जाबो जोही ममा गांव ।।
सियानीन मोटियारी, टूरा होवय के टूरी ।
सब्बो ला घाते भाथे, अपनेच ममा गांव ।।
एके तारीक म हवे, दुनो कोती के बिहाव ।
सोच मा परे हवंव, काखर संग मैं जांव ।।
दाई संग जाहूं मै ता, बाई ह बड़ रिसाही ।
गाल मुंह ल फुलेय, करही गा चांव चांव ।।
बाई संग कहूं जाहूं, दाई रो रो देही गारी ।
ये टूरा रोगहा मन, डौकीच ला देथे भाव ।।
बड़ मुश्किल हे यार, सुझत नई ये कुछु ।
काखर संग मैं जांव, काला का कहि मनांव ।।
नानपन ले दाई के, घात मया पाय हंव ।
मन ले कहत हंव, दाई जिनगी के छांव ।।
अब तो सुवारी बीना, जिनगी लागे बेमोल ।
जोही बीना जग सुन्ना, लगे जिनगी के दांव ।।
छोड़ नई सकव मैं, दाई बाई दुनो ला तो ।
बिमार हो मै कहेंव, कोनो गांव नई जांव ।।
-रमेश
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