गांव नवागढ़ मोर हे, छत्तीसगढ़ म एक ।
नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।।
मिले इतिहास देख, गोडवाना के चिन्हा ।
राजा नरवरसाय के, रहिस गढ़ सुघ्घर जुन्हा ।।
जिहां हवे हर पांव, देव देवालय के गढ़ ।
गढ़ छत्तीस म एक, हवय गा एक नवागढ़।।1।ं
मंदिर हे चारो दिसा, कोनो कोती देख ।
सक्ति हवय उत्ती दिसा, करे दया अनलेख ।।
करे दया अनलेख, हमर तो कासी काबा ।
मांगन तरिया पार, बिराजे भोले बाबा ।।
बुड़ती जाके देख, शारदा मॉं के मंदिर ।
माना तरिया पार, महामाई के मंदिर ।।2।।
पार जुड़ावनबंध मा, लक्ष्मी-नारायेण ।
भैरव भाठा खार मा, भैरव ला जानेन ।।
देख दिसा भंडार, हवय भैरव खारे मा ।
बिराजे कृष्ण राम, सुरकि तरिया पारे मा
शंकरजी रक्सेल, नवातरिया मन भावन ।
जब मन होय अषांत, ऐखरे पार जुड़ावन ।।3।।
हवे महामाई इहां, राजा के बनवाय ।
दाई असीस देत हे, जेन दुवारी आय ।।
जेन दुवारी आय, मनौती पूरा पावय ।
भगत इहां अनलेख, दुनो नवराती आवय ।।
माना तरिया पार, देख लव आके भाई।
सितला दुरगा संग, बिराजे हे महामाई ।।4।।
छोईहा नरवा हवय, हमर गांव के बीच ।
गुरूद्वारा हे पार मा, लेथे सबला खीच ।।
लेथे सबला खीच, जिहां सिक्खे मन आथें ।
पंचायत के बीच, पवन सुत हमला भाथें ।।
मोहरेंगिया पार, हवय मस्जिद के जलवा ।
मोहरेंगिया संग, मिले छोईहा नरवा ।।5।।
जुन्ना मंदिर मा हवे, गणेषजी के मान ।
संग शमी के पेड़ हे, जेखर अपने शान।
जेखर अपने शान, हवन पूजा मा जरूरी ।
गणेष देवा संग, शमी मा चढ़े खुरहुरी ।।
दुरलभ हे संयोग, शमी गणेष के मिलना ।
अइसन ठउरे तीन, कहे ‘कल्याणे‘ जुन्ना ।।6।।
राजा के चिन्हा हवे, पूछा जेखर नाव ।
हे डबरी चारो मुड़ा, हे शारद के ठांव ।।
हे शारद के ठांव, गांव भर ले हे डिलवा ।
जगह गवाही देत, रहिस राजा के किलवा ।।
राजा के ओ राज, मिलय कौड़ी मा खाजा ।
कथें गांव के लोग, रहिस बड़ सुघ्घर राजा ।।7।।
छै आगर छै कोरि के, तरिया जिहां खनाय ।
माना भगना बंद हा, आज घला मन भाय ।।
आज घला मन भाय, नवागढ़ के नौ पारा ।
पारा पारा देख, दिखय तरिया के धारा ।।
मांगन दाऊबंद, जुड़ावन लागय सागर ।
हवय गणेशा बंद, नवा तरिया छै आगर ।।8।।
नरवरगढ़ के नाव ले, मिले इतिहास देख ।।
मिले इतिहास देख, गोडवाना के चिन्हा ।
राजा नरवरसाय के, रहिस गढ़ सुघ्घर जुन्हा ।।
जिहां हवे हर पांव, देव देवालय के गढ़ ।
गढ़ छत्तीस म एक, हवय गा एक नवागढ़।।1।ं
मंदिर हे चारो दिसा, कोनो कोती देख ।
सक्ति हवय उत्ती दिसा, करे दया अनलेख ।।
करे दया अनलेख, हमर तो कासी काबा ।
मांगन तरिया पार, बिराजे भोले बाबा ।।
बुड़ती जाके देख, शारदा मॉं के मंदिर ।
माना तरिया पार, महामाई के मंदिर ।।2।।
पार जुड़ावनबंध मा, लक्ष्मी-नारायेण ।
भैरव भाठा खार मा, भैरव ला जानेन ।।
देख दिसा भंडार, हवय भैरव खारे मा ।
बिराजे कृष्ण राम, सुरकि तरिया पारे मा
शंकरजी रक्सेल, नवातरिया मन भावन ।
जब मन होय अषांत, ऐखरे पार जुड़ावन ।।3।।
हवे महामाई इहां, राजा के बनवाय ।
दाई असीस देत हे, जेन दुवारी आय ।।
जेन दुवारी आय, मनौती पूरा पावय ।
भगत इहां अनलेख, दुनो नवराती आवय ।।
माना तरिया पार, देख लव आके भाई।
सितला दुरगा संग, बिराजे हे महामाई ।।4।।
छोईहा नरवा हवय, हमर गांव के बीच ।
गुरूद्वारा हे पार मा, लेथे सबला खीच ।।
लेथे सबला खीच, जिहां सिक्खे मन आथें ।
पंचायत के बीच, पवन सुत हमला भाथें ।।
मोहरेंगिया पार, हवय मस्जिद के जलवा ।
मोहरेंगिया संग, मिले छोईहा नरवा ।।5।।
जुन्ना मंदिर मा हवे, गणेषजी के मान ।
संग शमी के पेड़ हे, जेखर अपने शान।
जेखर अपने शान, हवन पूजा मा जरूरी ।
गणेष देवा संग, शमी मा चढ़े खुरहुरी ।।
दुरलभ हे संयोग, शमी गणेष के मिलना ।
अइसन ठउरे तीन, कहे ‘कल्याणे‘ जुन्ना ।।6।।
राजा के चिन्हा हवे, पूछा जेखर नाव ।
हे डबरी चारो मुड़ा, हे शारद के ठांव ।।
हे शारद के ठांव, गांव भर ले हे डिलवा ।
जगह गवाही देत, रहिस राजा के किलवा ।।
राजा के ओ राज, मिलय कौड़ी मा खाजा ।
कथें गांव के लोग, रहिस बड़ सुघ्घर राजा ।।7।।
छै आगर छै कोरि के, तरिया जिहां खनाय ।
माना भगना बंद हा, आज घला मन भाय ।।
आज घला मन भाय, नवागढ़ के नौ पारा ।
पारा पारा देख, दिखय तरिया के धारा ।।
मांगन दाऊबंद, जुड़ावन लागय सागर ।
हवय गणेशा बंद, नवा तरिया छै आगर ।।8।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें