1. जतका महिमा हे कहे, गुरू मन के सब वेद । एक्को लक्षण ना दिखय, आज होत हे खेद ।। 2. आत्म ज्ञान ला छोड़ के, अपने नाम रटाय । दान-मान ला पाय के, कोठी बड़े बनाय ।। 3. आत्म-ज्ञान काला कथे, हमला कोन बताय । कहां आत्म ज्ञानी हवय, हमला कोन लखाय ।। 4. ज्ञान हवे का ओखरे, जाने गा भगवान । बड़का ओखर ले कहां, जग मा हे धनवान ।। 5. अपन धरम ला काट के, गढ़े हवे नव पंथ । जेला चेला मन कहय, नवाचरण के कंथ ।। 6. जेन पेड़ के डार हे, जर ल ओखरे काट । संत घला कहावत हे, मनखे मनखे बाट।।
पुस्तक परिचय: कविता रचना की कला
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इस पुस्तक को क्यों पढ़े? कविता रचना की कला: शैली, तकनीक, और सृजन रमेश चौहान
द्वारा रचित एक अनुपम मार्गदर्शिका है, जो नवोदित कवियों को कविता की जादुई
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1 दिन पहले