दारू मंद के लत लगे, मनखेे मर मर जाय ।
जइसे सुख्खा डार हा, लुकी पाय बर जाय ।।
तोरे पइसा देह हे, कर जइसे मन आय ।
पी-पा के तैं हा भला, काबर जगत सताय ।
मान बढ़ाई तैं भला, राखे काखर सोच ।
गारी-गल्ला देइ के, लेथस इज्जत नोच ।।
कुकुर असन तैं तो भुके, बिलई कस मिमिआय ।
कभू शेर सियार बने, समझ नई कुछु आय ।।
बने भिखारी दारू बर, बेचे अपन इमान ।
पाछू तैं देखात हस, आन बान अउ शान ।।
जइसे सुख्खा डार हा, लुकी पाय बर जाय ।।
तोरे पइसा देह हे, कर जइसे मन आय ।
पी-पा के तैं हा भला, काबर जगत सताय ।
मान बढ़ाई तैं भला, राखे काखर सोच ।
गारी-गल्ला देइ के, लेथस इज्जत नोच ।।
कुकुर असन तैं तो भुके, बिलई कस मिमिआय ।
कभू शेर सियार बने, समझ नई कुछु आय ।।
बने भिखारी दारू बर, बेचे अपन इमान ।
पाछू तैं देखात हस, आन बान अउ शान ।।
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