छबि छंद 8 मात्रा पदांत 121
धरती हमार । तैं हर सवार
हमरे मितान । आवस किसान
कर ले न चेत । जाके ग खेत
जांगर ल टोर । माटी म बोर
ओ खेत खार । धनहा कछार
बसथे ग जान । बाते ल मान
नांगर ल जोत । तन मन ल धोत
अर अर तता त । अर अर तता त
उबजहि ग धान । सीना ल तान
घात लहरात । घात ममहात
पीरा ल मेट । भरही ग पेट
जांगर तुहार । जीवन हमार
गाबो ग गीत । तैं हमर मीत
जय जय किसान । तैं ह भगवान
धरती हमार । तैं हर सवार
हमरे मितान । आवस किसान
कर ले न चेत । जाके ग खेत
जांगर ल टोर । माटी म बोर
ओ खेत खार । धनहा कछार
बसथे ग जान । बाते ल मान
नांगर ल जोत । तन मन ल धोत
अर अर तता त । अर अर तता त
उबजहि ग धान । सीना ल तान
घात लहरात । घात ममहात
पीरा ल मेट । भरही ग पेट
जांगर तुहार । जीवन हमार
गाबो ग गीत । तैं हमर मीत
जय जय किसान । तैं ह भगवान
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें