आवत रहिथन मइके कतको, मिलय न एक सहेली ।
तीजा-पोरा के मौका मा, आथे सब बरपेली ।।
ओही अँगना ओही चौरा, खोर-गली हे ओही ।
आय हवय सब सखी सहेली, लइकापन ला बोही ।
हमर नानपन के सुरता ला, धरे हवन हम ओली ।
तीजा-पोरा मा जुरिया के, करबो हँसी ठिठोली ।।
तरिया नरवा घाट घठौंदा, जुरमिल के हम जाबो ।
जिनगी के चिंता ला छोड़े, लइका कस सुख पाबो ।।
अपन-अपन सुख दुख ला हेरत, हरहिंछा बतियाबो ।
तीजा-पोरा संगे रहिके, अपन-अपन घर जाबो ।
तीजा-पोरा के मौका मा, आथे सब बरपेली ।।
ओही अँगना ओही चौरा, खोर-गली हे ओही ।
आय हवय सब सखी सहेली, लइकापन ला बोही ।
हमर नानपन के सुरता ला, धरे हवन हम ओली ।
तीजा-पोरा मा जुरिया के, करबो हँसी ठिठोली ।।
तरिया नरवा घाट घठौंदा, जुरमिल के हम जाबो ।
जिनगी के चिंता ला छोड़े, लइका कस सुख पाबो ।।
अपन-अपन सुख दुख ला हेरत, हरहिंछा बतियाबो ।
तीजा-पोरा संगे रहिके, अपन-अपन घर जाबो ।
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