होली के उमंग (त्रिभंगी छंद) हे होली उमंग, धरे सब रंग, आनी बानी, खुुुुशी भरे । ले के पिचकारी, सबो दुवारी, लइका ताने, हाथ धरे ।। मल दे गुलाल, हवे रे गाल, कोरा कोरा, जेन हवे। वो करे तंग, मया के रंग, तन मन तोरे, मोर हवे ।।
भरत बुलन्दी की कविताएँ
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भाई और खाई दीवारों पर तस्वीरों में भाई है।दिल में लेकिन लंबी गहरी खाई है।।
बँटवारे में हमने सब कुछ बाँट लिया ।आखिर किसके हिस्से बूढ़ी माईं है।। उसकी
नैया…
1 दिन पहले