जउन बहुत के करय चोचला, अलग अपन ला मानय ।
संग ओखरे रहय न कोनो, संग छोड़के भागय।।
जेन मिलय गा खोल करेजा, छोड़ कपट के बाना ।
संग ओखरे मुले-जुले बर, मुड़ मा रेंगत जाना ।।1।।
संग ओखरे रहय न कोनो, संग छोड़के भागय।।
जेन मिलय गा खोल करेजा, छोड़ कपट के बाना ।
संग ओखरे मुले-जुले बर, मुड़ मा रेंगत जाना ।।1।।
कभू अपनपन भूलाहू झन, मोर जेन ला मानव ।
जान भले जावय ता जावय, भार-भरोसा तानव ।।
लोहा देखत पानी देवय, दुनिया येखर साखी ।
जेन जेन आँखी ले देखय, देखव ओही आँखी ।।2।।
जान भले जावय ता जावय, भार-भरोसा तानव ।।
लोहा देखत पानी देवय, दुनिया येखर साखी ।
जेन जेन आँखी ले देखय, देखव ओही आँखी ।।2।।
-रमेशकुमार चौहान
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