दामाखेड़ा धाम मा, हे साहेब कबीर । ज्ञानी ध्यानी मन जिहां, बइठे बने फकीर ।। सद्गुरू के वरदान ले, पाये ब्यालिस वंश । पंथ हुजुर साहेब मा, हे सद्गुरू के अंश ।। सत्यनाम साहेब हा, तोड़य जग जंजीर । दामाखेड़ा धाम मा... जानव अपने रूप ला, परे देह ले ठाढ़ । सत्यनाम साहेब वो, बात बने तैं काढ़ ।। बात धरव सब ध्यान से, देह नही जागीर । दामाखेड़ा धाम मा... मीठा अउ मीठास ला, सरगुन निरगुन मान । कोने काखर ले अलग, ध्यान लगा के जान ।। मनखे के घट घट बसय, सत्यनाम बलबीर । दामाखेड़ा धाम मा..
पुस्तक: मानसिक शक्ति-स्वामी शिवानंद
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मानसिक शक्ति THOUGHT POWER का अविकल रूपान्तर लेखक श्री स्वामी शिवानन्द
सरस्वती
3 माह पहले