कइसे काटव मैं भला, अम्मावस के रात । आंखी बैरी हा कहय, कब होही परभात ।। कतका जुगनू चांदनी, चमकत करे उजास । कुलुप अंधियारी लगय, चंदा बिना अगास ।। सुरता के ओ धुंधरा, बादर बनके छाय । आंखी ले पानी झरे, सावन झड़ी लगाय ।। पैरी बाजय गोड़ के, गरज घुमर के घोर । चम चम बिजली कस करे, माथे बिंदी मोर ।। गरू लगय अपने बदन, गहना ले धंधाय । धनी अगोरा तोर हे, मोरे मन चिल्लाय ।। -रमेश चौहान
छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा भाग-6.परिक्षित के गर्भ मा रक्षा
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‘छत्तीसगढ़ी म भागवत कथा’ एक महाकाव्य के रूप म लिखे जात हे ऐला धीरे-धीरे
कई भाग म प्रकाशित करे जाही । एला श्रीमद्भागवत अउ सुखसागर आधार ग्रंथ ले के
छत्तीस...
5 दिन पहले