काटा म जब काटा चुभाबे, तभे निकलथे काटा पांव । कटे ल अऊ काटे ल परथे, त जल्दी भरते कटे घांव ।। लोहा ह लोहा ला काटथे, तब बनथे लोहा औजार । दुख दुख ला काटही मनखे, ऐखर बर तै रह तइयार ।। जहर काटे बर दे ल परथे, अऊ जहर के थोकिन डोज । गम भुलाय ल पिये ल परथे, गम के पियाला रोज रोज ।। प्रसव पिरा ला जेन ह सहिथे, तीनो लोक ल जाथे जीत । धरती स्वर्ग ले बड़े बनके, बन जाथे महतारी मीत ।। दरद मा दरद नई होय रे, दरद के होथे अपन भाव । दरद सहे म एक मजा होथे, जब दरद म घला होय चाव ।।
छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह आपरेशन एक्के घॉंव भाग-3
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निठुर जोही गवना लेवावन आजा निठुर जोही गवना लेवावन आजा, निठुर जोही गवना
लेवावन आजा, पानी गिरत है रिमझिम रिमझिम, दिन बीतत है गिन गिन। दहकत है
अंगारा मन में, …
3 दिन पहले