छाती ठोक के, मांग करव अब, काम के अधिकार । हर हाथ मा तो, काम होवय, रहब न हम लचार ।। हर काम के तो, दाम चाही, नई लन खैरात । हो दाम अतका, पेट भर के, मिलय हमला भात ।। खुद गुदा खाथे, देत हमला, फोकला ला फेक । सरकार या, कंपनी हा, कहां कोने नेक ।। अब काम के अउ, दाम के तो, मिलय गा अधिकार । कानून गढ़ दौ, एक अइसन, देश के सरकार ।।
लखनऊ की जीवंत सांस्कृतिक परम्परा है “मेटाफर लिटफेस्ट
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डॉ अलका सिंह, शिक्षक, डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविधालय, लखनऊ
साहित्य संस्कृतियों का परिचायक है और संस्कृतियां साहित्य की श्रीवृद्धि करती
हैं।...
5 दिन पहले