छाती ठोक के, मांग करव अब, काम के अधिकार ।
हर हाथ मा तो, काम होवय, रहब न हम लचार ।।
हर काम के तो, दाम चाही, नई लन खैरात ।
हो दाम अतका, पेट भर के, मिलय हमला भात ।।
खुद गुदा खाथे, देत हमला, फोकला ला फेक ।
सरकार या, कंपनी हा, कहां कोने नेक ।।
अब काम के अउ, दाम के तो, मिलय गा अधिकार ।
कानून गढ़ दौ, एक अइसन, देश के सरकार ।।
हर हाथ मा तो, काम होवय, रहब न हम लचार ।।
हर काम के तो, दाम चाही, नई लन खैरात ।
हो दाम अतका, पेट भर के, मिलय हमला भात ।।
खुद गुदा खाथे, देत हमला, फोकला ला फेक ।
सरकार या, कंपनी हा, कहां कोने नेक ।।
अब काम के अउ, दाम के तो, मिलय गा अधिकार ।
कानून गढ़ दौ, एक अइसन, देश के सरकार ।।
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