बर-पीपर के तुमा-कोहड़ा
(समान सवैया छंद)
बर-पीपर के ओ रूख राई, धीरे-धरे तो बाढ़त जावय ।
बाढ़त-बाढ़त ठाड़ खड़ा हो, कई बरस ले तब इतरावय ।।
तुमा-कोहड़ा नार-बियारे, देखत-देखत गहुदत जावय ।
चारे महिना बड़ इतराये, खुद-बा-खुद ओ फेर सुखावय ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
(समान सवैया छंद)
बर-पीपर के ओ रूख राई, धीरे-धरे तो बाढ़त जावय ।
बाढ़त-बाढ़त ठाड़ खड़ा हो, कई बरस ले तब इतरावय ।।
तुमा-कोहड़ा नार-बियारे, देखत-देखत गहुदत जावय ।
चारे महिना बड़ इतराये, खुद-बा-खुद ओ फेर सुखावय ।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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