कर मान बने धरती के
(खरारी छंद)
कर मान बने, धरती के, देश प्रेम ला, निज धर्म बनाये ।
रख मान बने, धरती के, जइसे खुद ला, सम्मान सुहाये ।।
उपहास करे, काबर तैं, अपन देश के, पहिचान भुलाये ।
जब मान मरे, मनखे के, जिंदा रहिके, वो लाश कहाये ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
(खरारी छंद)
कर मान बने, धरती के, देश प्रेम ला, निज धर्म बनाये ।
रख मान बने, धरती के, जइसे खुद ला, सम्मान सुहाये ।।
उपहास करे, काबर तैं, अपन देश के, पहिचान भुलाये ।
जब मान मरे, मनखे के, जिंदा रहिके, वो लाश कहाये ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान
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