//उद्धत दंडक//
जय राम रमा पति, कर विमल हमर मति, प्रभु बन जावय गति, जगत कर्म प्रधान ।
सतकर्म करी हम, जब तलक रहय दम, अइसन दौ दम-खम, जगत पति भगवान ।।
जग के तैं पालक, भगतन उद्धारक, कण-कण के कारक, धरम-करम सुजान ।
प्रभु तोर सिखावन, हम सब अपनावन, मन ला कर पावन, अपन चरित बनान ।।
-रमेश चौहान
जय राम रमा पति, कर विमल हमर मति, प्रभु बन जावय गति, जगत कर्म प्रधान ।
सतकर्म करी हम, जब तलक रहय दम, अइसन दौ दम-खम, जगत पति भगवान ।।
जग के तैं पालक, भगतन उद्धारक, कण-कण के कारक, धरम-करम सुजान ।
प्रभु तोर सिखावन, हम सब अपनावन, मन ला कर पावन, अपन चरित बनान ।।
-रमेश चौहान
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