छत्तीसगढ़ी बरवै
छत्तीसगढ़ी अड़बड़, गुरतुर बोल ।
बोलव संगी जुरमिल, अंतस खोल ।।
कहाँ आन ले कमतर, हवय मितान ।।
अपने बोली-बतरस, हम गठियान ।।
छोड़ चोचला अब तो, बन हुशियार ।
अपन गोठ हा अपने, हे कुशियार ।।
पर के हा पर के हे, अपन न मान ।
अपने भाखा पढ़-लिख, हम गुठियान ।।
अंग्रेजी मा फस के, हवस गुलाम ।
अपने भाखा बोलत, करलव काम ।।
छत्तीसगढ़ी अड़बड़, गुरतुर बोल ।
बोलव संगी जुरमिल, अंतस खोल ।।
कहाँ आन ले कमतर, हवय मितान ।।
अपने बोली-बतरस, हम गठियान ।।
छोड़ चोचला अब तो, बन हुशियार ।
अपन गोठ हा अपने, हे कुशियार ।।
पर के हा पर के हे, अपन न मान ।
अपने भाखा पढ़-लिख, हम गुठियान ।।
अंग्रेजी मा फस के, हवस गुलाम ।
अपने भाखा बोलत, करलव काम ।।
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