अपने मन के कोनहा, अइसे दीया बार ।
रिगबिग रिगबिग तो दिखय, तोरे अवगुण झार ।।
अपन कमी ला जान के, काही करव उपाय ।
बाचय मत एको अकन, मन मा तोरे समाय ।।
देवारी दीया हाथ धर, अवगुण ला तैं मार । अपने मन के कोनहा...
हमरे सुधरे मा जगत, सुधरय पक्का जान ।
छोड़ गरब गुमान अपन, छोड़ अपन अभिमान ।।
अपन मया के बंधना, बांधव जी संसार ।। अपने मन के कोनहा...
तोरे कस तो आन हे, सुघ्घर के इंसान ।
ना कोनो छोटे बड़े, ना कोनो हैवान ।।
हवय भुले भटके भले, ओला तैं सम्हार । अपने मन के कोनहा...
जाति पाति अउ पंथ के, कर देबो अब अंत ।
मनखे हा मनखे रहय, मन से होबो संत ।।
राम राज के कल्पना, करबो हम साकार । अपने मन के कोनहा...
रिगबिग रिगबिग तो दिखय, तोरे अवगुण झार ।।
अपन कमी ला जान के, काही करव उपाय ।
बाचय मत एको अकन, मन मा तोरे समाय ।।
देवारी दीया हाथ धर, अवगुण ला तैं मार । अपने मन के कोनहा...
हमरे सुधरे मा जगत, सुधरय पक्का जान ।
छोड़ गरब गुमान अपन, छोड़ अपन अभिमान ।।
अपन मया के बंधना, बांधव जी संसार ।। अपने मन के कोनहा...
तोरे कस तो आन हे, सुघ्घर के इंसान ।
ना कोनो छोटे बड़े, ना कोनो हैवान ।।
हवय भुले भटके भले, ओला तैं सम्हार । अपने मन के कोनहा...
जाति पाति अउ पंथ के, कर देबो अब अंत ।
मनखे हा मनखे रहय, मन से होबो संत ।।
राम राज के कल्पना, करबो हम साकार । अपने मन के कोनहा...
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