जय जय हे धनवंतरी, दव हमला वरदान ।
स्वस्थ रहय तन मन हमर, स्वस्थ रहय सम्मान ।।
धनतेरस के ये परब, आय जनम दिन तोर ।
हाथ जोड़ परनाम हे, विनती सुन ले मोर ।।
भौतिकता के फेर मा, हम तोला बिसराय ।
जड़ी बुटी ला छोड़ के, धन के परब बनाय ।।
हवय घोर गलती हमर, धरत हवन हम कान ।
आसो ले अब हर बरस, करबो तोरे मान ।।
साफ सफाई राखबो, हम अपने घर द्वार ।
रखिहंव हमरे ध्यान तुम, होई मत बीमार ।।
स्वस्थ रहय तन मन हमर, स्वस्थ रहय सम्मान ।।
धनतेरस के ये परब, आय जनम दिन तोर ।
हाथ जोड़ परनाम हे, विनती सुन ले मोर ।।
भौतिकता के फेर मा, हम तोला बिसराय ।
जड़ी बुटी ला छोड़ के, धन के परब बनाय ।।
हवय घोर गलती हमर, धरत हवन हम कान ।
आसो ले अब हर बरस, करबो तोरे मान ।।
साफ सफाई राखबो, हम अपने घर द्वार ।
रखिहंव हमरे ध्यान तुम, होई मत बीमार ।।
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