चुप हे ता सब कुछ बने, मुॅह खोलत बेकार ।
मनखे हिन्दूस्थान के, कबतक रहय गवार ।।
सहत रहिन ता सब बने, जागे मा हे बेकार ।
का काठा अउ का पसर, मुठ्ठी बोलय झार ।।
रहय दूध मा जल मिले, कहां हवय परहेज ।
पानी पानी दूध मा, दूध रहय निस्तेज ।।
ओखर मैना पोसवा, बोलय ओखर गोठ ।
तोर खीर पातर हवय, ओखर नून ह पोठ ।।
करिया कउॅंवा कोइली, दिखथे दूनो एक ।
बिन बोले गा ऊंखरे, काला कहि हम नेक ।।
मनखे हिन्दूस्थान के, कबतक रहय गवार ।।
सहत रहिन ता सब बने, जागे मा हे बेकार ।
का काठा अउ का पसर, मुठ्ठी बोलय झार ।।
रहय दूध मा जल मिले, कहां हवय परहेज ।
पानी पानी दूध मा, दूध रहय निस्तेज ।।
ओखर मैना पोसवा, बोलय ओखर गोठ ।
तोर खीर पातर हवय, ओखर नून ह पोठ ।।
करिया कउॅंवा कोइली, दिखथे दूनो एक ।
बिन बोले गा ऊंखरे, काला कहि हम नेक ।।
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